कोरोना से ठीक हुए 21 से 50 साल के लोगों में मिला खतरनाक इंफ्लेमेशन

कोरोना से ठीक हुए 21 से 50 साल के लोगों में मिला खतरनाक इंफ्लेमेशन

सेहतराग टीम

अब तक कोरोना वायरस के बारे में कई नए तथ्य सामने आए हैं। जैसे कि कई नए लक्षण सामने आ चुके हैं और कोरोना के मरीज के ठीक होने के बाद मानसिक समस्याओं, दिल की समस्याओं और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का समाना कर रहे है। अब इस बीच नई जानकारी सामने आई है। दरअसल कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके वयस्कों में खतरनाक इंफ्लेमेशन के लक्षण मिल रहे हैं। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने यह जानकारी देते हुए चिंता जतायी है कि इंफ्लेमेशन के लक्षण बच्चों में हो रहे मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिन्ड्रोम के जैसे हैं, जिसका फिलहाल कोई इलाज नहीं है।

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दरअसल जब हमारा प्रतिरक्षा तंत्र जरूरत से ज्यादा सक्रिय होकर रोगों से लड़ने के बजाय हमारे शरीर को ही नुक़सान पहुंचाने लगता है तो इस स्थिति को इंफ्लेमेशन कहते हैं। 

अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी ने बताया कि इस सिन्ड्रोम को ‘मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिन्ड्रोम इन अडल्ट्स’ नाम दिया गया है। हालांकि यह सिन्ड्रोम सीधे कोरोना वायरस से जुड़ा हुआ नहीं है, न ही पीड़ित को कोई ऐसे लक्षण महसूस होते हैं, जिन्हें वायरस से जोड़ा जा सके पर यह सिन्ड्रोम अब तक कम से कम तीन कोरोना के मरीजों की जान ले चुका है। साथ ही कोरोना की तरह ही यह वायरस नस्लीय और जातीय अल्पसंख्यकों को ज्यादा निशाना बनाता है।

सीडीसी ने अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में बताया कि अब तक अमेरिका में 21 से 50 साल तक के 27 वयस्कों में इंफ्लेमेशन जैसे सिन्ड्रोम के मामले सामने आए हैं। इनमें से ज्यादातर मरीजों के पूरे शरीर में बहुत ज्यादा इंफ्लेमेशन है, जिससे फेफड़े को छोड़कर उनके हृदय, यकृत और गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण अंग ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। बताया गया है कि हाइपर इंफ्लेमेशन और अंगों में खराबी आने जैसे लक्षण उन मरीजों में सामने आते हैं जो गंभीर कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हों लेकिन उन स्थिति में उनका श्वसन तंत्र भी खराब हो चुका होता है जबकि इस सिन्ड्रोम में फेफड़ों पर असर नहीं पड़ता।

 

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